Manuscript Details - IJARW1021

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Paper Id: IJARW1021
Title: भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]
Published in: International Journal Of All Research Writings
Publisher: IJARW
ISSN: 2582-1008
Volume / Issue: Volume 1 Issue 2
Pages: 8
Published On: 8/19/2019 9:04:32 PM      (MM/dd/yyyy)
Main Author Details
Name: VINOD KUMAR
Institute: MAHATMA GANDHI ANTARRASHTRIYA HINDI VISHWAVIDYALAYA, WARDHA, MAHARASHTRA
Co - Author Details
Author Name Author Institute
Abstract
Research Area: Political Science
KeyWord: लोकतन्त्र, मतदान, मतदाता एवं मताधिकार, इलेक्ट्रानिक चुनाव प्रणाली, 17वीं लोकसभा चुनाव एवं जनादेश, सामरिक मुद्दे तथा भविष्य की चुनौतियाँ।
Abstract: लोकतंत्र शासन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें जनता ही सर्वेसर्वा होती है। जनता स्व-विवेक से शासन हेतु अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। फिर जिस पार्टी के सदस्य (जनता के द्वारा चुने गए) एक निश्चित संख्या, जिसे जादुई आंकड़ा (बहुमत के लिए आवश्यक सदस्य संख्या) कहते हैं, (कुल सदस्य संख्या का दो-तिहाई) से अधिक विजयी हो जाते हैं, वही पार्टी सरकार का गठन करती है। प्रजातंत्र में कभी-कभी किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है; तब दो या अधिक पार्टियाँ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाती हैं। प्रजातन्त्र की एक मूलभूत मान्यता जनता की ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका’ है। प्रजातंत्र में शासन प्रणाली जिनके हाथों में होती है, उनका भाग्य-निर्माता स्वयं जनता ही होती है। जनता पर ही निर्भर करता है कि किस पार्टी या गठबंधन की सरकार बनेगी। लोकतांत्रिक प्रणाली वर्तमान समय में शासन-प्रशासन की सबसे व्यवस्थित और सुलझी हुई प्रणाली मानी जाती है। लेकिन लोकतंत्र का जो सैद्धांतिक स्वरूप है, क्या वह वास्तविक धरातल पर व्यावहारिक रूप में भी परिलक्षित होता है? क्या सचमुच जनता ही सर्वेसर्वा होती है? क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के लिए जो सिद्धांत गढ़े गए हैं वह सब वर्तमान भारतीय चुनाव में भी परिलक्षित हुए हैं? और भारतीय लोकसभा (17वीं) चुनाव में उभरते सार्वजनिक मुद्दे, वर्तमान संदर्भ तथा भारत के प्रति वैश्विक रुझान जैसे विशिष्ट सवालों का जवाब ढूंढने की परिणति यह शोध-लेख है। अतः इस शोध-लेख का मुख्य सरोकार यह जानना है कि वैश्विक स्तर पर लोकतन्त्र का क्या स्वरूप है और वह 17वीं भारतीय लोकसभा के चुनाव में कहाँ तक परिलक्षित हुआ तथा इस चुनाव का वर्तमान परिप्रेक्ष्य तथा भविष्य के मायने क्या होंगे। इसके लिए शोधार्थी ने गुणात्मक शोध उपागम के अंतर्गत विषय वस्तु विश्लेषण विधि के माध्यम से उपलब्ध साहित्य और चुनावी खबरों को अपना संदर्भ स्रोत बनाते हुए अपने निर्वचन को प्रस्तुत किया है।
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VINOD KUMAR, "भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]", International Journal Of All Research Writings, vol. 1, no. 2, pp. 16-23, 2019.
MLA VINOD KUMAR "भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]." International Journal Of All Research Writings, vol 1, no. 2, 2019, pp. 16-23.
APA VINOD KUMAR (2019). भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]. International Journal Of All Research Writings, 1(2), 16-23.
भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]
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भारत में लोकतन्त्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भविष्य के मायने [17वीं लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ में]

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